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| Black Mile Haunted Road Horror Story Hindi में | डरावनी भूतिया सड़क कहानी |
“हर शॉर्टकट अच्छा नहीं होता
कहते हैं, हर शॉर्टकट हमेशा अच्छा नहीं होता। कभी–कभी रास्ता भले ही छोटा लगे, पर उस पर चलने की क़ीमत ज़िंदगी बन जाती है। दिल्ली से जयपुर वाली हाइवे पर एक पुरानी सर्विस रोड है, जिसके बारे में Google Maps पर सिर्फ दो शब्द लिखे होते हैं –
> “Black Mile”
लोग कहते हैं, इस road से जाओ तो 25–30 मिनट जल्दी जयपुर पहुँच जाते हो। पर कुछ लोग ये भी कहते हैं किजो लोग इस road पर रात के बाद घुसे, वो या तो लौटे ही नहीं… या फिर लौटकर वैसे नहीं रहे, जैसे गए थे।
ये कहानी भी ऐसे ही तीन दोस्तों की है – जो एक रात, हँसते–मुस्कुराते, बस थोड़ी–सी जल्दी घर पहुँचने के चक्कर में ऐसे रास्ते पर मुड़ गए, जहाँ से किसी की भी ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रही।
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सफर की शुरुआत – तीन दोस्त, एक लम्बा रास्ता
निखिल, सान्वी और रोहन – तीनों दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। तीनों ने मिलकर प्लान बनाया –वीकेंड पर जयपुर जाना। शुक्रवार रात ऑफिस से निकलते–निकलते करीब साढ़े दस बज गए। ट्रैफिक हल्का था, मौसम थोड़ा ठंडा, और हाइवे पर गाड़ियों के बीच–बीच में बस ट्रक के हॉर्न और हवा की सीटी सुनाई दे रही थी।
निखिल ड्राइव कर रहा था। सान्वी सामने वाली सीट पर, और रोहन पीछे फैलकर बैठा था – कानों में इयरफोन, हाथ में मोबाइल, बीच–बीच में रील्स, मीम्स, गाने, और इंस्टा स्टोरी।सान्वी ने म्यूज़िक थोड़ा तेज़ करते हुए कहा,
“अगर रात को 2–3 बजे पहुँचेंगे तो कल पूरा दिन घूमने को मिलेगा। जल्दी चलो।” रोहन ने हँसकर पीछे से कहा, “जल्दी चलेंगे भी, तो होटल वाले बोलेगा – चेक–इन टाइम तो सुबह 12 बजे से होता है सर।” तीनों के बीच मज़ाक, हँसी, खिड़की से आती कभी–कभार ठंडी हवा… सब कुछ बिल्कुल सामान्य, बिल्कुल safe, बिल्कुल ज़िंदा लग रहा था।
उन्हें नहीं पता था, उसी रात उसी हाइवे से ज़िंदगी का एक हिस्सा पीछे छूटने वाला था।
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Google Maps का खतरनाक सुझाव
करीब डेढ़ घंटे बाद रोहन ने ऊबकर मोबाइल पर रास्ता चेक किया। Google Maps पर नीली लाइन हाइवे पर सीधी जा रही थी। लेकिन अचानक एक notification pop–up हुआ – > “Fastest Route Available –
Reach 25 minutes earlier via Black Mile Road.”
उसके नीचे छोटा–सा Warning भी था – > “No Street Lights on this road.”
सान्वी ने मोबाइल आगे खींचकर देखा, “अरे यह तो perfect है! 25 मिनट बच जाएंगे।” निखिल ने थोड़ा सोचा,“ये कौन–सा route है? मैंने कभी नाम नहीं सुना।”
रोहन बोला,
“भाई Google है, गलत नहीं होता। रात भी है, traffic कम है – चलो ना, थोड़ा adventure हो जाएगा।” स्क्रीन पर जो छोटी–सी grey road दिख रही थी, वो main highway से दाएँ कटकर जंगल के बीच से निकलती थी और फिर दूसरी तरफ main हाइवे से जाकर मिलती थी।निखिल ने steering दाएँ मोड़ दी। कुछ ही सेकंड में वे main highway से एक सुनसान, पतली road पर आ गए।
पहला बोर्ड दिखा –
> “Black Mile Road –
No U–Turn Beyond This Point.”
सान्वी ने हल्की घबराहट छुपाते हुए मज़ाक किया, “लगता है नाम डरावना रखने से लोग कम चलते होंगे, तभी road खाली है।” निखिल ने हँसते हुए बोला, “बस 18–19 किलोमीटर ही तो है… फिर वापस normal road पर।”उन्हें नहीं पता था – ये 18–19 किलोमीटर कितने लंबे साबित होने वाले हैं।
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ब्लैक माइल – सड़क जो खत्म नहीं होती
Black Mile पर street light नहीं थीं। दूर–दूर तक बस कार की हेडलाइट्स की रोशनी, और उसके आगे काला खालीपन। दोनों तरफ़ घना पेड़, झाड़ियाँ, कहीं–कहीं सूखे पेड़ की टेढ़ी डाल ऐसी लगती जैसे किसी ने हाथ उठा रखे हों।कुछ देर तक सब normal चला। रोहन ने Maps फिर से खोला। ऊपर लिखा था – 18 km to highway पाँच–सात मिनट बाद उसने फिर देखा –
अब लिखा था – 19 km to highway
वो उलझा,
“ये कैसा मज़ाक है? हम आगे जा रहे हैं या पीछे?” उसने फ़िर refresh किया – अब 21 km… फिर 22 km…निखिल ने झुँझलाकर कहा, “Network खराब होगा, ignore कर।” सान्वी चुप हो गई। उसे अचानक लगने लगा,road जैसे बिल्कुल दोहराई जा रही हो। एक ही–से पेड़, एक–ही–सा मोड़, एक–ही–सा पत्थर… जैसे कार एक ही जगह गोल–गोल घूम रही हो और driver को सिर्फ़ सीधा दिख रहा हो। निखिल ने speed थोड़ा बढ़ा दी।
टायरों के नीचे road की आवाज़ भी बदल गई – सीमेंट के smooth sound की जगह किसी पुराने, खुरदरे पत्थर की खर–खराहट। सान्वी ने धीमे से कहा, “निखिल… अगर हम अभी U–turn लेकर वापस हाइवे की तरफ जाएँ, तो शायद ठीक रहेगा।”रोहन ने पीछे से कहा,
“बिल्कुल। ये road अजीब लग रहा है।”
निखिल ने गहरी सांस ली, steering उजली रेखा से साइड मोड़ा और car घुमाने लगा। car घूम भी गई… पर सड़क वही रही। मोड़ने के बाद भी सामने वैसी ही road, वैसे ही पेड़, वैसी ही गहराई। रोहन के हाथ से मोबाइल फिसल गया।
“ये… ये कैसे हो सकता है…?”
सान्वी ने windshield के बाहर घूरते हुए कहा,“हम… मुड़े ही नहीं क्या? या… road खुद घूम रही है?” अब उन्हें डर की पहली लहर ने हल्का–सा छू लिया था। ये बस शुरुआत थी।
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खिड़की के बाहर दौड़ती परछाईं
कुछ आगे जाकर निखिल ने speed कम कर दी। अब वे करीब 40–50 की speed से चल रहे थे। कार के अंदर का silence किसी पुराने जिन्दा ज़ख्म जैसा लग रहा था। तभी, बाएँ पीछे के टायर के पास अचानक तेज़ धक्का लगा – car थोड़ी हिली। रोहन झटका खाकर आगे की सीट के बीच झुका, “कुछ टकराया क्या?”
निखिल ने mirrors में कुछ देखने की कोशिश की – पर बाहर h eadlight के अलावा कुछ नहीं दिखा।
फिर आवाज़ आई –
धप–धप–धप–धप…
जैसे कोई bare feet से पूरी speed में सड़क पर दौड़ रहा हो। सान्वी ने घबराकर कहा, “रोहन, देख कौन है बाहर!”रोहन ने खिड़की से बाहर झाँका – कार 60 पर चल रही थी लेकिन साथ–साथ कोई चीज़ कार के बिल्कुल बराबर दौड़ रही थी। पहले तो बस परछाईं दिखी। नीचे–नीचे, कार की shadow के पास।
फिर अचानक, वो परछाईं ऊपर उछली…
और खिड़की के शीशे के बिल्कुल साथ एक चेहरा चिपक गया। काला, जला–सा, जैसे किसी को सड़क पर घसीटते हुए मार दिया गया हो। आँखों की जगह दो गहरे गड्ढे, जिनमें सिर्फ़ काले धब्बे थे। होंठ फटे हुए, और दाँत ऐसे जैसे किसी ने आधे–आधे तोड़ दिए हों। चेहरे की त्वचा फटी हुई, कहीं–कहीं से सड़क की धूल चिपकी… और सबसे भयानक बात –
वो हँस रहा था।
रोहन की चीख कार के अंदर गूँजी, “निखिल… तेज़ चलाओ!!!” निखिल ने accelerator पूरी तरह दबा दिया।speedometer 80… 100… 110 पर पहुँचा। पर वो चीज़ उसी speed से गाड़ी के साथ दौड़ती रही। खिड़की से बाहर बस उसका चेहरा, दोनों हाथों की झलक, और दौड़ते पैरों की आवाज़ें –
धप–धप–धप… धप–धप–धप…
सान्वी की आँखों से आँसू निकल आए। वो सीट पकड़कर झुक गई, “ये क्या है… क्यों हमारा पीछा कर रहा है… ? ”अचानक वह चेहरा धीरे–धीरे खिड़की से सरकता हुआ पिछली सीट की तरफ चला गया। अब आवाज़ car के बिल्कुल अंदर से आ रही थी।
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पीछे की सीट पर बैठा कौन है?
कार के अंदर की हवा एकदम ठंडी, भारी और घनी हो गई।AC बंद था, पर फिर भी सांस लेते समय ऐसा लग रहा था मानो धुआँ अंदर जा रहा हो। रोहन ने पीछे की सीट की ओर देखने की हिम्मत नहीं की। पर उसे साफ़ महसूस हो रहा था –उसके ठीक बगल में कोई बैठा है। एक हल्की–सी हँसी उसके कान के पास उभरी – > “आगे मत देख… पीछे देख…”
रोहन का पूरा शरीर काँप रहा था। उसने आँखें कसकर बंद कर लीं। निखिल ने rear-view mirror थोड़ा adjust किया ताकि पीछे देख पाए। आइने में सेकेंड के लिए कुछ नहीं दिखा।
फिर अचानक
mirror के बीच में दो बेहद काली, बेहद पास आँखें उभर आईं – जैसे कोई पीछे से mirror के बहुत नज़दीक आकर झाँक रहा हो। उसके होंठों पर वही टूटी–फूटी मुस्कान। और उसके बाद car के अंदर बहुत साफ़, बहुत ठंडी आवाज़ गूँजी > “पीछे मत देखना… जो पीछे देखता है, वो बचता नहीं। बाकी दो… ही लाते हैं मेरे लिए अगला।…”
सान्वी फफक–फफक कर रो पड़ी,
“हमें छोड़ दे… हम कुछ नहीं चाहते… बस घर चले जाएँ…”
उस चीज़ ने मानो उसकी बात सुन ली। कुछ सेकेंड के लिए आवाज़ शांत हो गई। बस गाड़ी के टायरों की रगड़, इंजन की गूँज, और दूर कहीं किसी उल्लू की आवाज़। अचानक निखिल के मोबाइल पर network की एक छोटी–सी bar जली। रोहन ने तुरंत emergency नंबर मिलाया। कॉल लग गई।
दूसरी तरफ़ किसी आदमी की आवाज़ आई –
नींद भरी, मगर साफ़ – “हाँ, emergency, बोलिए।” रोहन लगभग चिल्ला पड़ा, “हम Black Mile road पर हैं… कुछ हमारे साथ… गाड़ी के अंदर… हमें मार देगा… प्लीज़ मदद भेजिए…” कुछ सेकेंड के लिए phone बिल्कुल silent।
फिर बहुत धीमी, बहुत ठंडी आवाज़ आई – > “जो भी करो… गाड़ी मत रोकना। पीछे मत देखना। अगर तीनों में से किसी ने पीछे देखा… तो दो की मौत पक्की है, और जिस ने देखा, वो खुद नहीं मरेगा… पर आप जैसा नहीं रहेगा।” कॉल कट गई।
रोहन ने घबराकर कहा, “उसने कैसे जाना कि हम तीन हैं…?” किसी ने जवाब नहीं दिया। क्योंकि तभी निखिल की हँसी बदल गई थी। वो अब अपनी usual हँसी नहीं हँस रहा था। उसकी हँसी अब किसी और की थी।
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अचानक उजाला – और रास्ता खत्म
कुछ मिनटों तक Black Mile की सड़क चलते–चलते अचानक आगे कहीं दूर हल्की–सी सफेद रोशनी दिखाई देने लगी। सान्वी ने काँपती आवाज़ में कहा, “लाइट… शायद हाइवे है…” जैसे–जैसे वे आगे बढ़ते गए, आवाज़ें धीमी होती गईं। खिड़की के बाहर दौड़ते पैर गायब हो गए। कान के पास फुसफुसाहट बंद। और अचानक घने पेड़, जंगल, काली धुंध सब हट गए। car एकदम से रोशन four–lane highway पर निकल आई।
दूसरी गाड़ियाँ, ट्रक, रोड के किनारे ढाबे, दूर petrol pump की टिमटिमाती लाइट… जैसे कोई बुरा सपना एक झटके में टूट गया हो साइड में एक बड़ा बोर्ड था –
> “You are leaving Black Mile Road
Do Not Return.”
सान्वी ने गहरी साँस ली और रोते–रोते सीट पर ही ढह गई।रोहन ने पीछे मुड़ने की हिम्मत अभी भी नहीं की। वो आगे के डैशबोर्ड को घूरता रहा, जैसे वहाँ कहीं सुरक्षा छुपी हो।निखिल ने steering कस कर पकड़ा हुआ था। उसकी आँखें road पर थीं पर चेहरे पर अजीब–सी शांति,
अजीब–सी ठंडी मुस्कान। सान्वी ने धीमे से कहा, “हमें… किसी होटल में रुक जाना चाहिए… आज जयपुर नहीं…”निखिल ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, “कोई ज़रूरत नहीं। सब ठीक है अब। वो… पीछे ही रह गई है।”
उसने rear–view mirror में धीरे से एक नज़र डाली और ज़रा-सी मुस्कान दबाई। क्योंकि उसे पता था – वो पीछे नहीं रही है। वो अब यहीं है।
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अगला दिन – दो मौतें, एक ज़िंदा, पर कौन?
अगले दिन सुबह जयपुर की outer ring road के पासएक छोटे होटल की खबर फैली –
“एक कमरे में दो नौजवान मृत मिले हैं।”
कमरा अंदर से बंद था। दरवाज़ा तोड़कर पुलिस अंदर घुसी तो नीचे फर्श पर सान्वी और रोहन की लाशें पड़ी थीं। दोनों के चेहरे पर ऐसी टेढ़ी–मेढ़ी भयावह लकीरें थीं जैसे मौत से पहले कुछ बहुत डरावना देख चुके हों। कमरे की दीवार पर लाल रंग से किसी ने उँगलियों से लिखा था –
> “पीछे मत देखना था।”
होटल के register में लिखा था – Room Booked by: Nikhil Sharma
पर उस कमरे में निखिल नहीं था। दो घंटे बाद नज़दीक ही एक चाय की दुकान पर किसी ने police को call किया –
“एक लड़का यहाँ बैठा है, घूर–घूर कर राह चलते लोगों को देख रहा है, लगता है दिमाग़ी हालत ठीक नहीं।” Police वहाँ पहुँची। एक corner की मेज़ पर निखिल चुपचाप बैठा था। उसका कप चाय से भरा था, पर उसने एक घूँट तक नहीं लिया था। उसकी आँखें किसी और दुनिया में अटकी थीं।इंस्पेक्टर ने पूछा, “क्या हुआ था रात को?” निखिल ने बहुत धीरे, बहुत सपाट आवाज़ में कहा –
> “मैंने… पीछे देख लिया था। इसलिए… मैं नहीं मरा।अब… वो मेरे अंदर है। अब मुझे और लोगों को Black Mile पर ले जाना है।” इंस्पेक्टर ने इसे पागलपन मान लिया। केस register हुआ – “दो अज्ञात मौतें, एक mental trauma survivor।” लेकिन असली बात
किसी रिपोर्ट में दर्ज नहीं हुई।
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आख़िरी सच – अब ये किसके phone में है?
कुछ महीनों बाद Black Mile road पर traffic police ने notice किया कि रात के बाद भी कई कारें उस तरफ़ मुड़ रही हैं। जिनसे पूछा गया, उन्होंने एक जैसा जवाब दिया –
> “Google Maps ने यही route बताया था। जल्दी पहुँचने के लिए।” किसी ने कभी नहीं सोचा कि
उस route suggestion के पीछे किसका हाथ है।
क्योंकि अब जब भी कोई सावधान–सा driver रात में सड़क पर mobile निकालकर रास्ता check करता है, तो maps के बीच में कभी–कभी एक नया route दिखता है –
> “Black Mile – 25 minutes faster”
और अगर आप उस पर click करें, तो कभी–कभी screen पर एक छोटे से कोने में Zoom करके दो बहुत काली, बहुत पास आँखें दिखती हैं। कुछ fraction of second के लिए। फिर गायब। और अगर आपने उस route को follow कर लिया, अगर आपने उस सड़क पर कभी भी एक बार भी रियर–व्यू मिरर में पीछे देख लिया… तो शायद तुम तीनों में से दो लोग कभी वापस घर नहीं पहुँचेंगे।
और जो तीसरा बचेगा – वो… तुम्हारा अपना नहीं रहेगा।
