फ्लैट 1301 – सकुरा हाई टॉवर की रहस्यमय कहानी | 1:03 AM Thriller Story in Hindi

रात में ऊँची रेजिडेंशियल बिल्डिंग की छत पर खड़ी लड़की की परछाई, 42वीं मंज़िल 1:03 AM
Sakura High Residential Tower – रात 1:03 AM पर फ्लैट 1301 का दृश्य

(1:03 AM Horror Thriller Story in Hindi)

सकुरा हाई टॉवर – सपनों का नया घर

शहर के सबसे महंगे और हाई-प्रोफाइल इलाके में खड़ा Sakura High Residential Tower दूर से किसी five-star hotel जैसा दिखता था।
42 मंज़िल, चमचमाती लिफ्ट, काँच की दीवारें, और इतनी ऊँचाई… कि नीचे पूरा शहर खिलौने जैसा लगे।

इसी टॉवर के 42वें फ्लोर के फ्लैट 1301 में रहने आए थे – आरव और उसकी पत्नी सृष्टि।
नौ साल पुराने किराये के घर, गली-कूचों और तंग balcony से निकलकर ये दोनों पहली बार इतने हाई-class society में आए थे।

शाम को शिफ्टिंग खत्म होते-होते शहर में lights जल उठीं।
सृष्टि खिड़की के पास खड़े होकर नीचे झिलमिलाती सड़कों को देख रही थी।

“इतनी ऊँचाई पर रहकर लगता है जैसे बाकी दुनिया बहुत छोटी है… है ना?”
आरव ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,
“अब हमारी जिंदगी भी ऊपर जाएगी… बस यहीं से नई शुरुआत।”

सब कुछ perfect।
कम से कम… पहली रात तक।


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पहली रात – 1:03 AM की अजीब आवाज़

रात के लगभग साढ़े बारह बजे तक सामान सेट करते-करते दोनों थक चुके थे।
AC की ठंडी हवा, बाहर का सन्नाटा, और 42वीं मंज़िल की हल्की-सी हिलती हुई हवा… दोनों कब सो गए, पता ही नहीं चला।

1:03 AM

आरव की नींद अचानक टूट गई।
उसने पहले सोचा कि कोई सपना था – लेकिन फिर वही आवाज़ दोबारा आई।

काँच की छत या फर्श पर कुछ बहुत भारी चीज़ घसीटने जैसी आवाज़ –
“घ्रर्र… घ्रर्र… घ्रर्र…”

आरव झटके से उठकर बैठ गया।
“सृष्टि… सुन रही हो?”

सृष्टि ने नींद भरी आवाज़ में कहा,
“हम्म… शायद ऊपर वाले फ्लैट में furniture खिसका रहे होंगे… सो जाओ।”

आरव ने भौंहें सिकोड़ीं।
ये society तो उसने खुद देखी थी।
42 के ऊपर तो बस terrace था… कोई फ्लैट ही नहीं।

आवाज़ पूरे 7–8 मिनट तक आती रही… फिर अचानक जैसे किसी ने radio बंद कर दिया हो – एकदम silence।


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दूसरी रात – आवाज़ के साथ रोना

अगले दिन society का explore, सामान जमाना, balcony से sunset देखना… दिन आराम से गुज़रा।
रात को दोनों consciously थोड़ा सतर्क थे, पर खुद को समझा चुके थे –
“हो सकता है AC की आवाज़, lift का vibration, या कोई technical sound होगा।”

1:03 AM

फिर वही “घ्रर्र… घ्रर्र…”

इस बार साथ में एक धीमी-सी सिसकने की आवाज़ भी थी।
जैसे कोई लड़की रोते-रोते नाच रही हो।

सृष्टि अब पूरी तरह से जाग गई।
“ये सामान्य नहीं है, आरव।”

आरव ने mobile उठाया, time देखा, और चुपचाप लेटा नहीं रह सका।
आवाज़ साफ़-साफ़ ऊपर से आ रही थी – terrace से।

सुबह होते ही वह building manager के office पहुँचा।

“रात को terrace पे कोई काम कर रहा है क्या? इतनी भारी आवाज़ आती है, नींद उड़ जाती है।”

Manager ने पहले तो normal सा चेहरा बनाए रखा, फिर धीरे से बोला,
“हमारी terrace चार साल से बंद है, sir.
सिर्फ maintenance वाले दिन में जाते हैं, वो भी permission से।”

“तो फिर रात को कौन होता है ऊपर?”
आरव के मुँह से अपने आप निकल गया।

Manager ने सीधा जवाब नहीं दिया, बस नज़रें हटा लीं।


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तीसरी रात – डर शुरू होता है

उस रात आरव ने तय किया –
अगर 1:03 AM पर आवाज़ आई, तो वो चुप नहीं रहेगा।

उसने जूते ready रखे, mobile की flashlight चेक की और दरवाज़ा थोड़ा-सा खुला छोड़कर ही लेट गया।

सृष्टि ने डरे हुए tone में कहा,
“प्लीज़, कुछ भी अजीब लगे तो सुबह तक wait करना… अकेले मत जाना।”

आरव ने half-smile के साथ उसका हाथ दबाया,
“कुछ नहीं होगा… बस कोई prank कर रहा होगा या security वाला होगा।”

1:02 AM…
कमरे में अजीब-सी ठंड बढ़ गई।
AC का temperature same था, लेकिन कमरे में हवा भारी लग रही थी।

1:03 AM

“घ्रर्र… घ्रर्र… घ्रर्र…”

इस बार आवाज़ बेहद साफ़ और भारी थी।
साथ में किसी के पैरों में बंधी जंजीरों के घिसटने की आवाज़ भी।

आरव तुरंत उठकर बाहर भागा।
सृष्टि घबराई हुई उसके पीछे।

सीढ़ियों से terrace की ओर जाते हर step पर आवाज़ और साफ होती जा रही थी।
जैसे कोई लोहे की चेन के साथ ज़ोर-ज़ोर से नाच रहा हो।

टेरेस का दरवाज़ा बंद था, पर अंदर से हल्की-सी रोशनी झाँक रही थी – जैसे किसी ने सिर्फ वहीं light on कर रखी हो।

आरव ने handle घुमाया… surprisingly, दरवाज़ा खुल गया।


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टेरेस पर जंजीरों वाला नाच

टेरेस के बीचों-बीच, हल्की चाँदनी और yellow light के बीच उसने उसे देखा।

एक लड़की…
लंबे, गीले जैसे दिखने वाले बाल…
पैरों में भारी लोहे की चेन लिपटी हुई…

वो किसी classical dance की तरह नहीं,
बल्कि ऐसे नाच रही थी जैसे कोई चोटिल शरीर खुद को घसीटते हुए jump करने से पहले आख़िरी बार तड़प रहा हो।

हर step के साथ चेन फर्श से टकराती –
“छन… घ्रर्र… छन… घ्रर्र…”

सृष्टि के मुँह से खुद-ब-खुद चीख निकल गई।

लड़की ने अचानक नाचना बंद कर दिया।
धीरे-धीरे उसने अपना सर मोड़ा।

उसका चेहरा धुँधला, जैसे पानी के भीतर से देख रहे हों।
आँखें सफेद – बिना पुुतलियों के।
और होंठों पर एक मुस्कान…
वैसी मुस्कान जो इंसान दर्द से पागल हो जाए और दर्द को ही मज़ाक समझने लगे।

आरव ने घबरा कर चिल्लाया,
“अरे! तुम यहाँ… क्या कर रही हो?!”

लड़की ने कुछ नहीं कहा।
बस सीधे terrace की railing पर चढ़ी…
और एक अजीब-सी graceful हरकत के साथ नीचे कूद गई।

सृष्टि ने चीखते हुए आरव का हाथ पकड़ लिया,
“मत देखो नीचे! मत देखो!”

लेकिन आरव ने railing पर झाँक ही लिया।
नीचे सिर्फ अंधेरा, सन्नाटा… कोई body… कुछ भी नहीं।


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CCTV रूम – सच या पागलपन?

कुछ ही मिनटों में building security, guard और वही manager ऊपर आ गए।
सृष्टि रो रही थी, हाथ काँप रहे थे।

“हमने खुद देखा… एक लड़की कूदी है यहाँ से!”

Manager ने terrace की flooring चेक करवाई –
कोई खून, कोई टूटे हुए हिस्से, कोई निशान… कुछ नहीं।

“Sir, आप लोग shayad hallucination—”

“हम दोनों hallucination देखेंगे साथ में?!”
आरव गुस्से से फट पड़ा।

आख़िर सच जानने के लिए सब लोग CCTV room में गए।

टेरेस के कैमरा angle में footages rewind होने लगे।

1:02 AM – terrace खाली।
1:03 AM – terrace पर कोई नहीं… सिर्फ gate खुलता है।
फिर अचानक frame में सिर्फ आरव भागते हुए दिखता है।

वो हवा में देख-देखकर कुछ चिल्ला रहा है,
हाथ से इशारे कर रहा है…
और फिर railing के पास जाता है।

किसी लड़की, किसी chain, किसी dance का नाम-निशान नहीं।

सृष्टि की आँखें डर से फैल गईं।
“नहीं… ये सही नहीं हो सकता… हमने दोनों ने देखा था!”

पर स्क्रीन पर जो था –
वो सिर्फ इतना कह रहा था:
आरव अकेला पागल हो गया है… या किसी और चीज़ के control में है।

उस रात के बाद सृष्टि ने insist किया कि वो कुछ दिन अपने मायके चली जाए।
आरव ने भी कहा,
“तुम जाओ… मैं सब clear करूँगा। शायद सच में मुझे ही कुछ हो रहा है।”

सृष्टि चली गई।
फ्लैट 1301 अब सिर्फ आरव और उस आवाज़ के बीच रह गया।


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अकेला आरव – असली डर की शुरुआत

उसी शाम आरव ने पूरा flat छोटे-छोटे spy-cameras से भर दिया।
living room, bedroom, balcony, यहाँ तक कि खिड़की के पास भी।

“अगर मैं hallucination देख रहा हूँ, तो camera भी देखेगा।
अगर camera नहीं देखता, तो फिर…?”

उसने खुद को शराब से दूर रखा, नींद की हल्की गोली ली और bed पर लेट गया।
कमरा अंधेरा था, बस window से दूर शहर की faint light आ रही थी।

कुछ देर बाद उसे लगा किसी ने उसके पैरों को ठंडी हथेली से छुआ हो।
उसने आँखें खोलीं, लेकिन कमरे में कोई नहीं था।

अब हवा फिर से भारी लगने लगी।
तकिये के बिल्कुल पास किसी के तेज़-तेज़ सांस लेने की आवाज़ आई।

“ह्ह… ह्ह… ह्ह…”

आरव ने हाथ बढ़ाकर lamp जलाने की कोशिश की –
पर उसकी उँगलियाँ switch तक पहुँची ही नहीं।

उसे अचानक महसूस हुआ कि उसका शरीर अपने आप उठ रहा है।

जब होश थोड़ा-सा साफ हुआ,
तो उसने पाया –
वो bed पर नहीं,
खिड़की के बाहर, 42वीं मंज़िल की पतली-सी धार पर खड़ा है।

नीचे गहराई, हवा और सिर्फ मौत का अंदाज़ा।

वो हिल भी नहीं पा रहा था।
जैसे किसी ने उसके muscles freeze कर दिए हों।

तभी पीछे से तेज़ तालियों की आवाज़ आई।

“बहुत अच्छा… अब तुम भी नाचो।”

वही लड़की, लोहे की चेन घसीटती हुई, उसकी तरफ भागती हुई आई।
उसका चेहरा अब बिल्कुल नज़दीक था –
आँखों के भीतर सिर्फ खाली गड्ढे और अंदर काला अंधेरा।

उसने हँसते हुए कहा,
“नीचे बहुत जगह है… तुम भी देखो, गिरते हुए कैसा लगता है।”

और बिना उसे मौका दिए,
उसने ज़ोर का धक्का दिया।

आरव चिल्लाया…
लेकिन उसकी चीख 42वीं मंज़िल से नीचे पहुँचने तक किसी ने नहीं सुनी।


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अगली सुबह – मौत, CCTV और दीवार पर लिखा सच

सुबह के समय security guard ने देखा कि फ्लैट 1301 का दरवाज़ा थोड़ा खुला है।
कई बार bell बजाने पर भी कोई जवाब नहीं आया तो manager को बुलाया गया।

अंदर living room की खिड़की खुली थी, पर्दे हवा में फड़फड़ा रहे थे।
बालकनी से नीचे देखने पर लोग जमा थे, police की गाड़ियाँ थीं।

कुछ देर बाद खबर confirm हुई –
नीचे सड़क पर एक आदमी का शरीर बुरी तरह टूटा हुआ मिला था –
नाम: आरव।

सबसे ज्यादा shock तब लगा जब CCTV दुबारा चेक किया गया।

रात के एक बजकर तीन मिनट
footage में साफ दिख रहा था –
आरव खुद खिड़की पर चढ़ रहा है…
खुद ताली बजा रहा है…
खुद हँसते हुए नीचे कूद रहा है।

कोई लड़की नहीं।
कोई चेन नहीं।
कोई दूसरी परछाईं नहीं।

बस आख़िरी seconds में,
जब वो पूरी तरह window से बाहर निकल चुका था –
frame के बिल्कुल कोने में
एक काली सी परछाईं fraction of second के लिए दिखती है…
जैसे कोई invisible हाथ उसे push कर रहा हो।

wall के एक कोने में, जहाँ पहले paint बिल्कुल साफ था,
अब गहरी खरोंच से कुछ लिखा था –

> “किसी ने भी मुझे नाचने नहीं दिया…
अब जो यहाँ आएगा, वो मेरे साथ नाचेगा।”




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आख़िरी twist – कौन पढ़ रहा है ये कहानी?

समय बीता।
फ्लैट 1301 कुछ महीनों तक खाली रहा।
society वाले इस incident को “mental illness” और “suicide case” कहकर close कर चुके थे।

लेकिन यही शहर है – जहाँ मौत से ज़्यादा महँगा किराया होता है।
आख़िर एक दिन फिर से एक couple ने उस flat के बारे में पूछताछ की।

“View अच्छा है… society safe है… बस एक पुराना incident हुआ था, जो case close हो चुका है।”
Manager ने mild-voice में कहा।

नए tenants ने papers sign किए।
रात को सामान रखा, balcony में खड़े होकर city lights देखीं।

और सोने से पहले
उनमें से एक ने mobile पर search किया –

> “Sakura High Tower Flat 1301 story”



उसे एक blog मिला – 

Title था –
“फ्लैट 1301 – सकुरा हाई टॉवर की रहस्यमय मौत | 1:03 AM Horror Thriller Story in Hindi”

उसने curiosity में पूरी कहानी पढ़ डाली…
तुम अभी जो पढ़ चुके हो,
ठीक वही।

Story के आख़िरी words पर उसकी नज़र ठहर गई –

> “अब जो यहाँ आएगा, वो मेरे साथ नाचेगा।”


उसने हँसकर mobile side में रखा,
light बंद की, और bed पर लेट गया। कमरा बिल्कुल dark था। बस window से थोड़ी नीली रोशनी अंदर आ रही थी। ऊपर wall clock पर सुइयाँ धीरे-धीरे चल रही थीं। 1:02 AM

कमरे में अचानक ठंड बढ़ गई। नए किराएदारों ने सोचा,
“शायद AC ज़्यादा ठंडा कर दिया…” 1:03 AM

उसे साफ सुनाई दी – फर्श पर चेन घिसटने की आवाज़…
“घ्रर्र… घ्रर्र… घ्रर्र…” और उसके ठीक पास, तकिये की ऊँचाई पर, किसी के बहुत-बहुत पास आकर धड़ाधड़ चलने की तेज़ साँसें। किसी लड़की की धीमी-सी फुसफुसाहट –
“कहानी पढ़ ली न…अब चलो, मेरे साथ नाचो…”


                            🔥 कहानी समाप्त

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