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| एक मदद, एक गलती और एक डरावनी सच्चाई। |
रात का हाईवे दिन से बिल्कुल अलग होता है। दिन में जिस सड़क पर गाड़ियों का शोर, हॉर्न और लोगों की आवाज़ें गूंजती हैं, वही सड़क रात के अंधेरे में एक खामोश कहानी बन जाती है। दूर-दूर तक फैली सड़क, दोनों तरफ काले जंगल जैसे साए और बीच-बीच में जलती बुझती स्ट्रीट लाइटें, ऐसा लगता है जैसे सड़क खुद किसी राज़ को छुपाए बैठी हो। लोग कहते हैं कि रात में हाईवे पर अनजान लोगों को लिफ्ट नहीं देनी चाहिए, लेकिन कोई ये नहीं बताता कि कभी-कभी जो मदद माँगता है, वो इंसान नहीं होता।
अजय को रात में गाड़ी चलाना हमेशा से पसंद था। उसे खाली सड़कें, हल्का म्यूज़िक और बिना रुकावट का सफर सुकून देता था। उस दिन भी ऑफिस का काम देर से खत्म हुआ था और घर पहुँचने में करीब दो घंटे लगने वाले थे, इसलिए उसने शहर के अंदर की सड़कों की बजाय नेशनल हाईवे पकड़ लिया। घड़ी में रात के बारह बजकर सैंतालीस मिनट हो रहे थे और आसमान में हल्की ठंड महसूस हो रही थी। कार के अंदर रेडियो पर कोई पुराना गाना बज रहा था और सब कुछ बिल्कुल सामान्य लग रहा था।
करीब दस मिनट तक अजय बिना किसी रुकावट के गाड़ी चलाता रहा, तभी अचानक उसकी नज़र सड़क के किनारे खड़ी किसी पर पड़ी। दूर से देखने पर बस इतना समझ आया कि कोई लड़की अकेली खड़ी है। उसने सफेद रंग का सूट पहना हुआ था और उसके लंबे बाल खुले हुए थे। हाईवे जैसा सुनसान इलाका और इतनी रात, यह दृश्य अपने आप में अजीब था। अजय ने पहले तो स्पीड कम नहीं की, लेकिन जैसे ही वह पास पहुँचा, लड़की ने हाथ हिलाकर लिफ्ट माँगी।
अजय के दिमाग में तुरंत एक ही बात आई कि उसे नहीं रुकना चाहिए। उसने अक्सर सुना था कि रात में हाईवे पर लिफ्ट देना खतरे से खाली नहीं होता। वह गाड़ी आगे बढ़ा ही रहा था कि उसने रियर मिरर में देखा, लड़की तेज़ क़दमों से गाड़ी की तरफ बढ़ रही थी, जैसे उसे भरोसा हो कि अजय रुकेगा। कुछ सेकंड की झिझक के बाद अजय ने ब्रेक लगा दिए और गाड़ी रोक दी।
उसने खिड़की थोड़ा सा नीचे किया और पूछा कि क्या हुआ। लड़की की आवाज़ काँप रही थी और उसकी साँसें तेज़ थीं। उसने कहा कि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे हैं और अगर वह वहाँ रुकी रही तो उसकी जान खतरे में पड़ सकती है। उसने बस इतनी मदद माँगी कि अजय उसे थोड़ी दूर तक छोड़ दे, जहाँ लाइटें हों या कोई पेट्रोल पंप दिखाई दे। अजय ने इधर-उधर देखा, हाईवे पूरी तरह खाली था, दूर-दूर तक कोई गाड़ी या इंसान नहीं दिख रहा था।
कुछ पल सोचने के बाद अजय ने दरवाज़ा अनलॉक कर दिया और लड़की पीछे वाली सीट पर बैठ गई। दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ कुछ अजीब सी लगी, जैसे किसी खाली जगह में गूंज रही हो। गाड़ी फिर से चल पड़ी, लेकिन कार के अंदर एक अजीब सी खामोशी छा गई। अजय ने बात करने की कोशिश की और उससे पूछा कि वह इतनी रात को अकेली कैसे थी, लेकिन लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया। रियर मिरर में देखने पर वह सीधे सामने देख रही थी और उसने एक बार भी पलक नहीं झपकाई।
कुछ ही मिनटों में अजय को ऐसा महसूस होने लगा जैसे कार के अंदर ठंड बढ़ती जा रही हो। जबकि एसी बंद था, फिर भी उसकी उंगलियाँ सुन्न होने लगीं। उसने शीशे ऊपर किए और रेडियो की आवाज़ थोड़ी तेज़ कर दी, लेकिन मन का अजीब डर कम नहीं हुआ। उसने फिर पूछा कि क्या वाकई कोई उसका पीछा कर रहा था। इस बार लड़की ने बस इतना कहा कि पहले थे, लेकिन अब नहीं हैं। उसके बोलने का तरीका राहत से ज़्यादा किसी अजीब यकीन जैसा था।
अजय ने जब दोबारा रियर मिरर में देखा तो उसका दिल जैसे रुक सा गया। पीछे की सीट खाली थी। जहाँ कुछ देर पहले लड़की बैठी थी, वहाँ अब कोई नहीं था। घबराकर उसने अचानक ब्रेक लगाए और गाड़ी सड़क के बीचों-बीच रुक गई। उसके मुँह से अपने आप निकल पड़ा कि ये क्या हो रहा है। उसी पल उसे अपने कान के पास एक धीमी फुसफुसाहट सुनाई दी, जिसने उसके पूरे शरीर में सिहरन दौड़ा दी।
आवाज़ ने कहा कि डरने की ज़रूरत नहीं है। अजय का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं। उसने चिल्लाकर पूछा कि आखिर वो कौन है। साइड मिरर में उसने जो देखा, वो उसकी ज़िंदगी का सबसे डरावना दृश्य था। एक पीला पड़ा हुआ चेहरा, काली गहरी आँखें और गर्दन पर रस्सी के गहरे निशान, जैसे किसी ने उसे बेरहमी से फाँसी दी हो।
आवाज़ अब भारी और ठंडी हो चुकी थी। उसने बताया कि तीन साल पहले इसी हाईवे पर उसने भी किसी से मदद माँगी थी। चार लोग उसकी मदद करने के बहाने रुके थे, लेकिन उन्होंने उसे ज़िंदा नहीं छोड़ा। अगली सुबह उसकी लाश हाईवे के पास झाड़ियों में मिली थी और अख़बारों में उसे एक अज्ञात लड़की कहकर छाप दिया गया था। अजय को अचानक वो खबर याद आ गई, जिसे उसने कभी ध्यान से नहीं पढ़ा था।
लड़की की आत्मा ने कहा कि आज पहली बार किसी ने उसे इंसान समझकर रोका था। उसने बताया कि वह हर किसी को नुकसान नहीं पहुँचाती, बल्कि जो मदद करता है, उसे बस चेतावनी देती है। तभी अचानक कार अपने आप स्टार्ट हो गई और आगे दूर कहीं सड़क पर लाइटें दिखाई देने लगीं। उसने अजय से कहा कि अब गाड़ी रोक दे और पीछे मुड़कर न देखे।
जैसे ही अजय ने गाड़ी रोकी, कार के अंदर की ठंड गायब हो गई और माहौल बिल्कुल सामान्य लगने लगा। पीछे देखने पर वहाँ कोई नहीं था, सिर्फ़ सीट पर मिट्टी और हल्के गीले निशान थे, जैसे कोई बहुत देर तक वहाँ बैठा रहा हो। रेडियो अपने आप चालू हो गया और उस पर खबर चल रही थी कि उसी हाईवे पर चार लोग घायल हालत में मिले हैं, जो बार-बार कह रहे थे कि एक लड़की ने उन्हें सड़क पर रोका था।
अजय ने बिना समय गंवाए गाड़ी स्टार्ट की और वहाँ से निकल गया। अब वह जान चुका था कि हर मदद माँगने वाला ज़िंदा नहीं होता और हर आत्मा बुरी नहीं होती। कुछ आत्माएँ बस इंसानियत की आख़िरी उम्मीद ढूँढती रहती हैं, ताकि उन्हें भी कभी शांति मिल सके।
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